शनिवार, नवंबर 03, 2007

अध्याय 2: भैंसिया का नैनमटक्का

पिछले अध्याय में आपने पढ़ाः घासीराम की भैंस ढक्कनपुरवा गांव से उस समय रस्सी तोडकर तबेले से भाग गयी जब घासीराम अपने दोस्त कल्लू की शवयात्रा में गया था। टीआरपी महिमा के लिए इसको फ़ुल्ली फ़ालतू नामक एक टीवी चैनल पर कवर स्टोरी बना कर दिखाया जा रहा था। चैनल के मालिक गुल्लु को इस खबर से बहुत ज्यादा टीआरपी और एसएमएस से बहुत पैसा जुगाड़ने की उम्मीद थी। कातिल अदाओं वाली निधि खोजी, ओवरटाइम का पैसा नही माँगने वाला टप्पू संवाददाता और समाचार वाचिका रुपाली अभी-अभी लिये ब्रेक के बाद लौटे हैं। सुन्दरी नामक भैंस को कवर स्टोरी बनाने के लिए उसको तालाब में तैराकी की प्रैक्टिस छुड़वाकर फुल्ली-फालतू चैनल के स्टूडियो में रखा गया है। अब आगे...

ब्रेक के बाद चैनल स्टूडियो में कुछ नए लोग आते हैं। टप्पू ने अपने विश्वस्त सूत्रों से पहले ही पक्का कर लिया था कि स्टूडियो में घासी-राम के भैंस की कहानी पर अपनी राय देने वाले सारे लोग अपने अपने क्षेत्र के एक्स्पर्ट है जिनका वर्णन निम्नलिखित हैं।

जोखन डाक्टर: जोखन डाक्टर ग्यारह साल पहले १३ लाख में एमबीबीएस की डिग्री ले कर आए थे। शुरु के आठ साल तो चुंगी पर बैठ कर इंसानों का डाक्टर बने रहे, पर वो चली नहीं। तिस पर गलत दवा देने से पाँच लोगों के मौत का मुकदमा बन गया। तब से अक्ल ठिकाने आई और फिलहाल पिछले तीन साल से जानवरों की डाक्टरी करने लगे, बुजूर्गों ने समझाया था कि इसमें रिस्क नहीं है।

सेवकराम साइको: पहले इनका नाम था सेवकराम शर्मा। पिछले बीस साल से साइकेट्रिस्ट  हैं और अपना धंधा बढ़ाने के लिए अपने नाम के आगे साइको लगाया है। गल्लू से बहुत पहले इनका करार हुआ था कि इनको टीवी पर लाइव दिखाने पर सेवकराम गल्लू को १० हजार रुपया देगा।

कालू प्रसाद "देशप्रेमी": वर्तमान सत्तारुढ़ पार्टी का एमएलए और अपने पार्टी का प्रवक्ता। जब से पिछली सरकार ने इनके उपर लगे बलात्कार के आरोप की सीबीआई जाँच के आदेश दिये इन्होंने अपने नाम के आगे देशप्रेमी का पुछल्ला जोड़ लिया।

टीवी स्क्रीन पर फुल्ली फालतू चैनल फिर से आता है। रुपाली अपने बालों की लटों को दुबारा झटकती है और और बोलने लगती है।

रुपाली:  दर्शकों हम फिर हाजि़र हैं घासीराम की सुन्दरी पर एक्सक्लूसिव रिपोर्ट लेकर। जिन लोगों ने अभी-अभी टीवी आन किया है उनके लिए मैं बता दूँ कि आज सुबह सुबह ढक्कनपुरवा गाँव के श्री घासीराम जी की सुन्दरी नामक भैंस रस्सी तोड़कर भाग गई है। हम अपने इस चैनल पर एक्स्क्लूसिवली यह रिपोर्ट दिखा रहे हैं कि आखिर सुन्दरी को कौन सी ऐसी बात खराब लग गई जिससे वह घर छोड़कर चली गई। क्या उसका किसी से चक्कर था? या वह किसी मानसिक प्रताड़ना का शिकार थी। आज इसी बात पर चर्चा करने के लिए हमने कुछ एक्स्पर्ट्स को बुलाया है। हमारे साथ मौजूद हैं, जाने माने पशु चिकित्सक श्री जोखन डाक्टर, प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक श्री सेवक साइको और स्थानीय विधायक श्री कालू प्रसाद "देशप्रेमी"। इस बीच हमारी संवाददाता निधि खोजी मौजूद हैं घटनास्थल पर। हम समय समय पर दर्शको की राय भी लेते रहेंगे। आप अपनी राय हमें एसएमएस द्वारा ४५४७६ पर भेजें।  अब हम बिना समय गंवाए सीधे मुद्दे पर आते हैं और पहला सवाल करते हैं हमारे आज के एक्स्पर्ट सेवकराम साइको जी से।

रुपाली: सेवकराम जी हमारे स्टूडियो में आपका स्वागत है। आप तो पिछले बीस साल से मनोवैज्ञानिक रहे हैं। आपको क्या लगता है। सुन्दरी की मानसिक स्थिति कैसी रही होगी? वह घासीराम का घर छोडकर क्यों भाग गयी?

सेवकराम साइको: रुपाली जी मुझे आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद। मुझे तो सुन्दरी का केस पूरा साइकोलोजिकल लगता है। वह शर्तिया "साइक्लोजिकल डिसआर्डर सिन्ड्रोम" से ग्रसित है। इस तरह के बीमारी में भैंस क्या आदमी भी अपना घर छोड़कर चला जाता है, वो भी किसी को बिना कुछ बताए।

कालूप्रसाद देशप्रेमी: (बात काटते हुए बीच में बोलते हुये) रुपाली जी, इसमें मुझे किसी बीमारी का कोई बात नहीं लगती है। यह तो निःसंदेह विपक्षी पार्टी का ही काम है। घासीराम के भैंस को भगाकर अल्पसंख्यक वर्ग का नाम बिगाशने की साजिश है ये। हम इसे होने नहीं देंगे। हमारी सेकुलर पार्टी देश में इस तरह के कम्यूनल काम का पर्दाफाश करेगी।

रुपाली: (निधि खोजी से मिली खबर के कारण बीच में ही सबको चुप कराते हुए) दर्शकों हमारी संवाददाता अभी ढक्कनपुरवा गाँव में मौजूद है। निधि क्या आप मेरी आवाज सुन पा रही हैं? कैसा माहौल है वहाँ?

निधि: (अपने कान का टेपा सही करते हुए) जी रुपाली पूरा गाँव सुन्दरी के जाने से गमगीन है। पड़ोस के भैंसे ने सुबह से अभी तक अपना चारा नहीं खाया है। घासीराम का तो रो-रोकर बुरा हाल है। लेकिन अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि रुपाली आखिर भागी क्यों। सभी उसकी टकटकी बांधे राह देख रहे हैं और आहें भर भर कर "हाय रुपाली", "उफ्फ रुपाली" कहे जाते हैं।

रुपाली: (चौंक जाती है और फुसफुसाती है) अरे निधि रुपाली नहीं सुन्दरी..सुन्दरी (और भी धीरे से -- स्टूपिड नॉन्सेंस)।

निधि (स्टूपिड शब्द सुनने के बाद फिर से अपने बालों को झटकते हुए): ओह सॉरी.. रुपाली नहीं...माफ कीजिएगा...हम निधि की बात, यानि के घासीराम की भैंस सुन्दरी की बात कर रहे थे। (खिसियाकर अपने पास खड़े हुए युवक को पूछते हुए)। हँ  तो आप मुझे बताएँ कि सुन्दरी क्यों भागी?

युवक (कैमरे के बजाए निधि को देखते हुए): हैं हैं हैं...वो क्या है मैडम, हम सुबह सुबह मैदान को गए थे। देखा तो उधर से दो भैंस बड़ी जल्दी में कहीं जा रहे थे। हमें पक्का विश्वास है कि उनमें वह सुन्दरी भी रही होगी। पिछले छह सात महीनों से उसका पड़ोस के भैंसे गबरू से जबरदस्त चक्कर चल रहा था ही। जानबूझ कर के पड़ोसी के भैंसे के थाल के सामने ही सुंदरी को बांधता था। रब्बा रब्बा करते एक्सीडेंट हो गया ना। खुद ही भैंसन के प्रेमसंबंध बनाबे में मदद करत रहल। मैंने समझाया पर माना ही नहीं। (हंसी रोकते हुए) अब भुगतो ससूरा, भाग गईल ना भैंसिया।

कालू-प्रसाद "देशप्रेमी" (बीच में ही युवक को रोकते हुए): इसमें जरूर विपक्षी पार्टी का हाथ है। हमारे क्षेत्र में से भैंस को भगवाकर, गैर जात के भैंसे से मेल कराकर शांति भंग करना चाहते हैं।

बीच में ही रुपाली सबको रोकते हुए बोलती है। देशप्रेमी जी हम वापस आते हैं लेकिन इस छोटे से ब्रेक के बाद। और दौड़कर रेस्टरूम चली जाती है।

(समाप्त)

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