tag:blogger.com,1999:blog-9832392.post110633258313325878..comments2020-04-23T19:13:42.497+05:30Comments on बुनो कहानी: मरीचिका: अध्याय 3 : और भी गम हैं जमाने में...debashishhttp://www.blogger.com/profile/05581506338446555105noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-9832392.post-27065001092253784912009-01-17T12:33:00.000+05:302009-01-17T12:33:00.000+05:30छाया की खिलखिलाहट के पीछे ...भी कुछ बुना जा सकता ह...छाया की खिलखिलाहट के पीछे ...भी कुछ बुना जा सकता है ..सरल ताजगी भरी कहानी,बधाई..विधुल्लताhttps://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9832392.post-1125829309624086992005-09-04T15:51:00.000+05:302005-09-04T15:51:00.000+05:30मैं "बुनकर" मन्डली मे शामिल होना चाहता हूँ क्या कर...मैं "बुनकर" मन्डली मे शामिल होना चाहता हूँ क्या करना पडेगा मुझे?Kumar Padmanabhhttps://www.blogger.com/profile/00743001936020943683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9832392.post-1111301561087604262005-03-20T12:22:00.000+05:302005-03-20T12:22:00.000+05:30can any body tell in detail about Govind Upadhyay....can any body tell in detail about Govind Upadhyay.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9832392.post-1107069627950845472005-01-30T12:50:00.000+05:302005-01-30T12:50:00.000+05:30यह संयोग रहा कि कहानी शुरु करने से लेकर खात्मे तक ...यह संयोग रहा कि कहानी शुरु करने से लेकर खात्मे तक कनपुरियों के हाथ में रही .क्या किया जाये !आगे चर्चा देखें <A HREF="http://www.blogger.com/r?http%3A%2F%2Fhindi.pnarula.com%2Fhaanbhai%2Farchives%2F2005%2F01%2F23%2F%25e0%25a4%25b2%25e0%25a5%258b-%25e0%25a4%25ac%25e0%25a5%2581%25e0%25a4%25a8-%25e0%25a4%2597%25e0%25a4%2588-%25e0%25a4%25aa%25e0%25a4%25b9%25e0%25a4%25b2%25e0%25a5%2580-%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25b9%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25a8%25e0%25a5%2580">पंकज के चिट्ठे पर</A>अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9832392.post-1106816891479871742005-01-27T14:38:00.000+05:302005-01-27T14:38:00.000+05:30आप भी हैप्पी एन्डिंग कर गये यश चोपड़ा और करन जौहर क...आप भी हैप्पी एन्डिंग कर गये यश चोपड़ा और करन जौहर की तरह। सही लिखा है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10405868379585037338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9832392.post-1106677298741029622005-01-25T23:51:00.000+05:302005-01-25T23:51:00.000+05:30कहानी बहुत ख़ूबसूरत तरीक़े से हैपी एण्डिंग के साथ अं...कहानी बहुत ख़ूबसूरत तरीक़े से हैपी एण्डिंग के साथ अंजाम हुई है। प्रश्न यह है कि वास्तविक जीवन में आप को कितनी "छायाएँ" मिलेंगी। एक सुझाव है -- इस कहानी को "अभिव्यक्ति" या किसी कागज़ी पत्रिका में छपने को भेजा जाए। इस तरह का साझा लेखन शायद अपने आप में अपूर्व और अनूठा होगा, जिसे सही प्रचार मिलना चाहिए। <br /><br />(पुनश्च : गोविंदजी का परिचय पढ़ने और कहानी के अंत में "इति" देखने के बाद भी जाने मुझे क्यों पहले यह कन्फ्यूजन रहा कि यह तीसरा भाग अनूप जी का है और अंतिम भाग गोविंदजी का अभी आना है।)Kaulhttps://www.blogger.com/profile/16384451615858129858noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9832392.post-1106586635205301852005-01-24T22:40:00.000+05:302005-01-24T22:40:00.000+05:30वाह मियां खाकसार.बधाई.खूब रोशन कर रहे हो पिताजी का...वाह मियां खाकसार.बधाई.खूब रोशन कर रहे हो पिताजी का नाम.अभी तमाम पुरानी बातें बताई गोविन्दजी ने तुम्हारे पिताजी के बारे में.बता रहे थे कि कहानी बुनने की कला का कानपुर में कोई जोड नहीं था उनका.बहुत दिनों से उनसे मुलाकात नहीं हुई उनकी.'दीपजी'को आज दिन भर खोजा गया 'तुम्हारा' घर का पता पाने के लिये पर वो कहीं नदारत थे.अब तुम्ही बता दो ताकि हम उनसे मिल लें.बहुत-बहुत बधाई'इन्डीब्लाग अवार्ड ' पाने के लिये.मेरा वोट बेकार नहीं गया.अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9832392.post-1106584504114617442005-01-24T22:05:00.000+05:302005-01-24T22:05:00.000+05:30अनूप बाबू मुझे मालुम था ,आप इसी जानकारी के साथ लौट...अनूप बाबू मुझे मालुम था ,आप इसी जानकारी के साथ लौटेंगे| चलिए कुछ खुलासे और करता हूँ| श्रीनाथ जी की कहानी उपहार भी शायद जल्द नजर आये अभिव्यक्ति पर| दधीचि का अंत पर किसी एनएफडीसी के पासआउट उठाईगिरे ने बिना उनकी अनुमति लिए कुछ साल पहले टेलीफिल्म भी बना डाली| खैर वह मामला पुराना है| आप सोच रहेंगे होंगे मैं यह सब कैसे जानता हूँ, जनाब बचपन में कई कथाकारों को अपने घर पर देखा है जब वे कथा गोष्टी में आते थे| मान्यवर, श्रीनाथ जी का पूरा नाम श्री श्रीनाथ अरोरा है और यह खाकसार उन्हीं का पुत्र है|Atul Arorahttps://www.blogger.com/profile/00089994381073710523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9832392.post-1106553221769162922005-01-24T13:23:00.000+05:302005-01-24T13:23:00.000+05:30अरे भाई,ये कहानी लिखी गोविंद उपाध्याय ने.हमें काहे...अरे भाई,ये कहानी लिखी गोविंद उपाध्याय ने.हमें काहे दोष दे रहे हो अच्छे खराब खात्में के लिये.वैसे गोविंदजी बहुत उत्साहित हैं बहुत दिन बाद लिखने का काम शुरु कर के. वे लगातार चिट्ठे पढ़ते रहे लगभग सबके.उनका पहला कहानी संग्रह 'पंखहीन' जल्द ही छप के आने वाला है.<br /><br />मैंने सिर्फ टाइपिंग का काम किया है.एकाध लाइन जोड़ी-घटाई है तथा कविता ठेल दी बीच में.उतना अपराध स्वीकार करने को तैयार हूं.<br /><br />अतुल,जिन श्रीनाथ जी की बात बताई तुमने वे तीन-चार साल पहले रिटायर हुये.गोविंदजी उनकी कहानियों के बड़े मुरीद हैं.'दधीचि की हड्डी' बहुत प्रसिद्ध कहानी है उनकी. राजेंन्द्र राव शायद जागरण ग्रुप के पुनर्नवा से जुड़ने वाले हैं.<br /><br />जीतेन्दर बाबू,कहानी तो अभी भी खुली है.चले जाओ रेड्डी की 'टीशर्ट' लौटाने.पर पूंछ के जाना घर में.हर बीबी छाया नहीं होती.अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9832392.post-1106541435225522802005-01-24T10:07:00.000+05:302005-01-24T10:07:00.000+05:30बहुत सुन्दर, काफी अच्छा लेखन, कह सकते है जस्टीफाइट...बहुत सुन्दर, काफी अच्छा लेखन, कह सकते है जस्टीफाइट ट्रीटमेन्ट.<br />एक अच्छा अन्त, लेकिन ना जाने क्यों लग रहा था कि कहानी खत्म ना हो, यूँ ही चलती रहे.......खैर दूसरो को भी तो मौका देना है, इसलिये .... अब दूसरो को भी सुनना चाहिये.<br /><br />तो भाई लोग तैयार है ना आप लोग.Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9832392.post-1106513078256819302005-01-24T02:14:00.000+05:302005-01-24T02:14:00.000+05:30शुक्ला जी कमाल कर दिए हो। मेरी प्रतिक्रिया जरा लम्...शुक्ला जी कमाल कर दिए हो। मेरी प्रतिक्रिया जरा लम्बी थी इसलिए यहाँ <A HREF="http://www.blogger.com/r?http%3A%2F%2Fhindi.pnarula.com%2Fhaanbhai%2Farchives%2F2005%2F01%2F23%2F%E0%A4%B2%E0%A5%8B-%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%A8-%E0%A4%97%E0%A4%88-%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80"> जाइए</A>पंकजमिर्ची सेठhttps://www.blogger.com/profile/16040787652013263782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9832392.post-1106509270895077042005-01-24T01:11:00.000+05:302005-01-24T01:11:00.000+05:30इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.मिर्ची सेठhttps://www.blogger.com/profile/16040787652013263782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9832392.post-1106507236004384042005-01-24T00:37:00.000+05:302005-01-24T00:37:00.000+05:30अनूप भाई
कहानी का ईससे सुंदर और सटीक अंत नहीं हो ...अनूप भाई <br />कहानी का ईससे सुंदर और सटीक अंत नहीं हो सकता था| आपने शुरू में दो अग्रगण्य लेखकों का जिक्र किया है जो कानपुर से ताल्लुक रखते हैं| अमरीक सिंह जी, राजेन्द्र राव साहब और तमाम अन्य लेखक भी कानपुर की ही शान हैं और जनवादी लेखक संघ के दिनों में अति सक्रिय रहे हैं| मैं नाम जोड़ना शुरु करूँ तो सूची लंबी हो जायेगी| पर शुक्ल जी ,आपके लिए एक नाम पहेली बूझने को छोड़ देता हूँ, जोंक, उपहार ईत्यादि लिखने वाले लेखक श्रीनाथ जी भी कानपुर के ही हैं ,आप जानते हैं क्या? अमरीक सिंह जी और राजेन्द्र राव साहब ईस मामले में मदद कर सकते हैं|Atul Arorahttps://www.blogger.com/profile/00089994381073710523noreply@blogger.com